पीएम स्वनिधि योजना पुनर्गठित: 2030 तक 1.15 करोड़ रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को लाभ
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पुनर्गठित पीएम स्वनिधि योजना के तहत 2030 तक 1.15 करोड़ रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को ऋण, डिजिटल भुगतान और सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलेगा।
यूपीआई-सक्षम रुपे क्रेडिट कार्ड और कैशबैक प्रोत्साहन डिजिटल लेन-देन और औपचारिक वित्तीय समावेशन को मजबूत करेंगे।
ऋण अवधि 2030 तक बढ़ने से स्ट्रीट वेंडर्स को दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता और व्यवसाय विस्तार के अवसर मिलेंगे।
दिल्ली/ रेहड़ी–पटरी विक्रेता भारत की शहरी अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं। दैनिक जरूरतों की वस्तुओं और सेवाओं को आमजन तक पहुंचाने में इनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी वर्ग को आर्थिक सुरक्षा, औपचारिक पहचान और आत्मनिर्भरता प्रदान करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री रेहड़ी–पटरी विक्रेता आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना अब एक नए, विस्तारित और पुनर्गठित स्वरूप में सामने आई है।
पुनर्गठित पीएम स्वनिधि योजना के अंतर्गत अब 1.15 करोड़ रेहड़ी–पटरी विक्रेताओं को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 50 लाख नए लाभार्थी शामिल होंगे। केंद्र सरकार ने योजना की ऋण वितरण अवधि को 31 मार्च 2030 तक बढ़ा दिया है, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि सरकार अल्पकालिक राहत से आगे बढ़कर दीर्घकालिक सशक्तिकरण की दिशा में कार्य कर रही है।
महामारी से आत्मनिर्भरता तक का सफर
पीएम स्वनिधि योजना की शुरुआत जून 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान हुई थी, जब लॉकडाउन के कारण रेहड़ी–पटरी विक्रेताओं की आजीविका पूरी तरह प्रभावित हो गई थी। उस समय यह योजना एक आपातकालीन ऋण सहायता के रूप में लाई गई थी, ताकि छोटे व्यवसाय फिर से शुरू हो सकें।
हालांकि, समय के साथ यह योजना केवल ऋण सहायता तक सीमित न रहकर वित्तीय समावेशन, डिजिटल सशक्तिकरण और सामाजिक सुरक्षा का प्रभावी माध्यम बन गई। अब इसका पुनर्गठन इस बात का प्रमाण है कि सरकार रेहड़ी–पटरी विक्रेताओं को अनौपचारिक क्षेत्र से निकालकर औपचारिक आर्थिक ढांचे में लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
ऋण संरचना में बड़ा सुधार
पुनर्गठित योजना के तहत ऋण की राशि में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है।
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पहला चरण: ₹10,000 से बढ़ाकर ₹15,000
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दूसरा चरण: ₹20,000 से बढ़ाकर ₹25,000
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तीसरा चरण: ₹50,000 तक का ऋण
यह वृद्धि विक्रेताओं को न केवल दैनिक जरूरतें पूरी करने में मदद करेगी, बल्कि उनके व्यवसाय के विस्तार में भी सहायक होगी।
यूपीआई-सक्षम रुपे क्रेडिट कार्ड
योजना की एक बड़ी विशेषता यह है कि समय पर ऋण चुकाने वाले विक्रेताओं को यूपीआई से जुड़ा रुपे क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा। इससे अचानक आने वाली व्यावसायिक या व्यक्तिगत जरूरतों के लिए तत्काल ऋण सुविधा मिल सकेगी और विक्रेताओं को साहूकारों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा
डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहित करने के लिए कैशबैक प्रोत्साहन भी शामिल किए गए हैं—
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नियमित डिजिटल बिक्री पर ₹1,200 तक वार्षिक कैशबैक
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₹2,000 या उससे अधिक की थोक खरीद पर अतिरिक्त कैशबैक
इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि विक्रेताओं का डिजिटल क्रेडिट इतिहास भी मजबूत होगा।
राहत से विकास की ओर
पुनर्गठित पीएम स्वनिधि योजना अब केवल संकट-निवारण योजना नहीं रही, बल्कि यह समग्र विकास मॉडल बन चुकी है। योजना का फोकस अब उद्यमिता विकास, वित्तीय साक्षरता, डिजिटल कौशल और विपणन क्षमताओं के निर्माण पर है।
एफएसएसएआई के सहयोग से स्ट्रीट फूड विक्रेताओं के लिए स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, जिससे उनकी सेवाओं की गुणवत्ता और ग्राहकों का विश्वास दोनों बढ़ेगा।
स्वनिधि से समृद्धि अभियान
‘स्वनिधि से समृद्धि’ घटक के तहत लोक कल्याण मेलों के माध्यम से रेहड़ी–पटरी विक्रेताओं और उनके परिवारों को केंद्र सरकार की 8 प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जा रहा है।
9 दिसंबर 2025 तक
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47 लाख से अधिक विक्रेताओं और परिवारों की प्रोफाइलिंग
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1.46 करोड़ से अधिक योजनाओं को स्वीकृति
यह आंकड़े योजना की व्यापक पहुंच और प्रभाव को दर्शाते हैं।
संस्थागत भागीदारी
पीएम स्वनिधि योजना का क्रियान्वयन आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय और वित्तीय सेवा विभाग के संयुक्त सहयोग से किया जा रहा है। राज्य सरकारें, शहरी स्थानीय निकाय और बैंक इस योजना की रीढ़ हैं, जो पहचान, ऋण वितरण और डिजिटल ऑनबोर्डिंग को सुनिश्चित करते हैं।
पुनर्गठित पीएम स्वनिधि योजना भारत की शहरी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े वर्ग को आर्थिक सुरक्षा, सम्मान और आत्मनिर्भरता प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। बिना गारंटी ऋण, डिजिटल भुगतान और सामाजिक सुरक्षा के माध्यम से यह योजना आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को जमीनी स्तर पर साकार कर रही है।